कम्प्यूटर का वर्गीकरण (Classification of Computer)
Post Update: October 28, 2021
हार्डवेयर के आधार पर
0 शून्य पीढ़ी
- अबेकस (Abacus)
- यांत्रिक कैलकुलेटर - ब्लेज पास्कल ने 1642 ई. में विश्व के इस पहले कैलकुलेटर को बनाया।
- मार्क-1 सेकेण्डों में गणना करने के कारण इसे तीव्र गणना मशीन कहा जाता है।
नोट - वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आधार पर कम्प्यूटर जेनरेशन को पांच भागा में बांटा है-
1. प्रथम पीढ़ी (1942-55)
- इस जनरेशन के कम्प्यूटर्स में बायोडवाल्च निवांत ट्यूब (Vacuum tube) का प्रयोग किया गया। इसे डायोड कहा गया।
- प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर (ENIAC) प्रथम पीढी का कम्प्यूटर है।
- इस जनरेशन में प्रोग्रामिंग मशीन व असेम्बली भाषा में की जाती थी। मशीन लैंग्वेज केवल 0 और 1 पर आधारित होती है। कम्प्यूटर के समझने योग्य भाषा जिसमें प्रोग्राम लिखा जाये, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा कहलाती है। उदाहरण - ENIAC, EDSAC, UNIVAC,
2. द्वितीय पीढ़ी ( 1955-64)
- इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में मुख्य तार्किक उपकरण वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर ट्रांजिस्टर (Transistor) का उपयोग किया गया।
- मेमोरी के लिए मैग्नेटिक ड्रम के स्थान पर मैग्नेटिक कोर का प्रयोग हुआ।
- Secondary Storage संग्रह के लिये पंचकार्ड के अलावा मैग्नेटिक टेप और डिस्क का प्रयोग हुआ।
- इस पीढ़ी में हाई लेवल लेंग्वेज का आविष्कार हुआ, जैसे FORTRAN, COBOL आदि। इस भाषा में सामान्य अंग्रेजी के अक्षरों का प्रयोग किया गया जो मशीनी भाषा में प्रोग्रामिंग करने के स्थान पर काफी सरल होते थे।
- ये प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर से आकार में छोटे थे और संग्रह क्षमता और गति भी काफी अधिक थी। उदाहरण- आई बी एम, यूनीवैक-।।
3. तृतीय पीढ़ी ( 1964-75)
- इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के रुप में ट्रांजिस्टर के स्थान पर आई. सी. (Integrated Circuit) का उपयोग किया गया। एक IC में ट्रांजिस्टर, रेजिस्टर, कैपेसिटर तीनों ही समाहित हो गए, जिससे कम्प्यूटर का आकार अत्यंत छोटा होता गया।
- RAM के विकास से गति तीव्र हुई।
- टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ।
- इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाने लगा, जिसके कारण कम्प्यूटर के आंतरिक कार्य स्वचालित हो गये। डोक्यूमेंट बनाना तथा उन्हें प्रोसेस करना प्रारंभ किया।
- हाई लेवल लेंग्वेज में नई भाषाओं पास्कल(PASCAL) तथा बेसिक (BASIC-Beginners AII Purpose Symbolic Instruction Code) का विकास हुआ।
- मिनी कम्प्यूटर का विकास हुआ जो आकार में काफी छोटे थे। उदाहरण- आई बी एम-360, पीडीपी-8
4. चतुर्थ पीढ़ी ( 1975-89)
- इस पीढ़ी में लार्ज स्केल आई.सी. (LSI-Large Scale Integration) तथा VLSI (Very Large Scale Integration) बनाना सम्भव हुआ।
- एक छोटे से चिप में लाखों ट्रांजिस्टर समा गये, आकार में कमी आयी।
- इस चिप को माइक्रोप्रोसेसर नाम दिया गया।
- माइक्रोप्रोसेसर का विकास एम, ई, हौफ ने 1971 में किया था।
- माइक्रोप्रोसेसर युक्त कम्प्यूटर को माइक्रो कम्प्यूटर कहा जाने लगा। सबसे पहला माइक्रो कम्प्यूटर MITS नामक कम्पनी ने बनाया।
- कोर मेमोरी के स्थान पर अर्धचालक या सेमीकंडक्टर पदार्थ की मेमोरी का उपयोग हुआ, जो आकार में बेटी और गति में तेज होती थी। नये-नये सॉफ्टवेयरों का निर्माण हुआ।
- LAN (Local Area Network) तथा WAN (Wide Area Network) जैसे कम्प्यूटर नेटवर्क का विकास हुआ।
- पर्सनल कम्प्यूटर का विकास हुआ।
- GUI (Graphical User Interface) सॉफ्टवेयर के विकास से कम्प्यूटर का उपयोग सरल हो गया।
- MS-DOS, MS-Windows, Apple-OS जैसे ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर का विकास हुआ।
- उच्चस्तरीय भाषा C का विकास हुआ। उदाहरण- IBM-PC, एप्पल-II etc.
5. पाँचवीं पीढ़ी (1989 से अब तक)
- ULSI (Ultra Large Scale Integration) के विकास से कम्प्यूटर की कार्यक्षमता में और वृद्धि हुई। ऑप्टिकल डिस्क का विकास हुआ।
- इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में स्वयं सोचने की क्षमता पैदा की जा रही है। कम्प्यूटर को हर क्षेत्र में कार्य करने योग्य बनाया जा रहा है।
- इस पीढ़ी में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कम्प्यूटर्स को जोड़कर नेटवर्क बनाया गया, जिसे इंटरनेट नाम दिया गया।
- ई-मेल तथा www (world wide web) का विकास हुआ।
- मल्टीमीडिया का विकास इसी पीढ़ी में हुआ।
- कम्प्यूटर को आकार के कारण डेस्क टॉप, लैप टॉप, पाम टॉप नाम दिया गया। उदाहरण- IBM नोटबुक, पेंटियम पीसी, सुपर कम्प्यूटर आदि।
अगली पीढ़ी के कम्प्यूटर (Next Generation Computer)-
- नैनो कम्प्यूटर-
- नैनो स्तर (10°m) पर निर्मित नैनो ट्यूब्स के प्रयोग से अत्यन्त छोटे व विशाल क्षमता वाले कम्प्यूटर के विकास का प्रयास किया जा रहा है।
- क्वांटम कम्प्यूटर (Quantum Computer)-
- यह प्रका के क्वांटम सिद्धान्त पर आधारित है जिसमें आंकड़ों का संग्रहण और संसाधन क्वांटम कण करते हैं।
- ये कण युग्म में रहते हैं और इन्हें 'क्यू बिट्स' कहते हैं।